कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

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ऑनर किलिंग' का एक रूप यह भी

पिछले कुछ समय से लगातार 'ऑनर किलिंग' की घटनाएँ मीडिया में सुर्खियाँ बन रही है। ऑनर किलिंग यानी इज्जत के नाम पर प्रेमियों को मौत के घाट उतार देना। भारत जैसे देश में जहाँ लंबे समय से तथाकथित इज्जत, मान-मर्यादा, सम्मान, ुतबे, प्रतिष्ठा जैसे मुद्दे पर मारकाट मचती रही हो, ऐसी घटनाएँ कतई चौंकाती नहीं है। हमारे समाज में ऑनर किलिंग का एक और रूप है जिस पर अमुमन किसी लेखक, समाजसेवी और मीडिया का ध्यान नहीं जाता। ऑनर किलिंग के इस स्वरूप में खूनखराबा नहीं है लेकिन दिल लहुलूहान है, यहाँ कोई मरता नहीं मगर मरे हुए के समान है। बात को सीधे-सीधे भी शुरु किया जा सकता है।

समाज में अविवाहित-अविवाहिताओं का एक बड़ा वर्ग ऑनर किलिंग के नाम पर बिना जान गवाएँ शहीद हो रहा है। उम्र के तीस बरस तक ये वर्ग खामोशी से परिवार के 'सम्मान' को बनाए रखते हुए अपनी पसंद को नजरअंदाज करता रहता है। फिर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है परिजनों का धैर्य कम होने लगता है। लेकिन 'ऑनर' के नाम पर कायम उनकी 'अकड़' कम नहीं होती।

यही वजह हैं कि 'हम कर नहीं पा रहें हैं और तुम्हें हम करने नहीं देंगे' का नारा बुलंद करते हुए परिजन ऑनर को बनाए रखने में सफल होते हैं। उधर 'किलिंग' वर्ग के नस-नस में कथित संस्कारों के इतने इंजेक्शन लगा दिए जाते हैं कि वो अपनी पसंद-नापसंद से शनै: शनै: दूर हो जाता है। ऐसा नहीं है कि यह वर्ग नासमझ है। यह किलिंग वर्ग जानता है कि वह शोषित है, प्रताड़‍ित है धीरे-धीरे तबाह हो रहा है। लेकिन संस्कारों, आदर्शों और मर्यादा के 'ओवरडोज' के तले इनकी आवाज सतह पर नहीं आ पाती है और परिणाम स्वरूप 'इज्जत' बनी रहती है। घर में भी और बाहर भी। जिस उम्र में उसे जीवन के विविध रंगों से परि‍चित हो जाना चाहिए उस उम्र में उससे अपेक्षा की जाती है कि वह 'इज्जतदार' बने रहने में गर्व महसूस करें। वह करता भी है।

Manch Apna
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उम्र के सोलह से लेकर पच्चीसवें पड़ाव-विशेष तक उस पर भी नूर आता है, उसे भी आकर्षक प्रस्ताव मिलते हैं, रिश्ते उसके द्वार पर भी दस्तक देते हैं मगर कहीं जाति अटकती है, कहीं आयु, कहीं रिश्ते तो कहीं 'प्रतिष्ठा'। ऑनर बना रहे इसलिए परिवार के भरोसे ये लोग खुशी-खुशी किलिंग की राह पर चल पड़ते हैं।

इनके जीवन को करियर, शिक्षा, महत्वाकांक्षा जैसे शब्द कई विशिष्ट उपलब्धियों के साथ घेरे रहते हैं, यही वजह है‍ कि 'किल' होते हुए भी ऑनर के लिए परिवारों में ये लगातार 'खिल' रहे हैं, बढ़ रहे हैं। समाज में आज भी एक बहुत बड़ा वर्ग झूठी अकड़, अड़‍ियल रवैये और सामंती ठसक के साथ मौजूद है। जब इनके घरों में पल रहे 'किलिंग वर्ग' की इनसे चर्चा की जाए तो गर्व के मारे इनके सीने फूल जाते हैं। चेहरा चमक उठता है। लेकिन ये नहीं जानते कि इनके घर में पल-प्रतिपल 'किसी' का दम घुट रहा है, 'किसी' के सुहाने सपनों की किरचें बिखर रही है। 'किसी' के अरमानों की धज्जियाँ उड़ रही है।

क्या किसी का 'इज्जतदार' बने रहना मासूम सपनों की मौत से बढ़कर है? अगर नहीं तो 'ऑनर' के नाम पर मारे जाने वाले इस 'किलिंग' वर्ग के लिए परिजनों का दिल थोड़ा सा बड़ा क्यों नहीं हो सकता?

आत्महत्या या ओनर किल्लिंग

नारनौल.नांगल चौधरी क्षेत्र के गांव ढाणी कुंभावाली के विरेंद्र यादव के साथ अंतरजातीय विवाह करने वाली पूजा मान की मौत की घटना पुलिस के गले की फांस बन गई है। पूजा के सुसाइड नोट पर हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेने पर पुलिस अब अपने बचाव के साथ घटना की सच्चई भी तलाश रही है। इसी सिलसिले में फरीदाबाद रेंज के आईजी एसएन वशिष्ठ को बुधवार नारनौल आना पड़ा।
पूजा ने कुएं में कूदने से पहले एक सुसाइड नोट लिखकर घर में छोड़ दिया था, जिसमें उसने अपनी मौत के पीछे पुलिस द्वारा अपने पति विरेंद्र के खिलाफ नशीले पदार्थो की तस्करी का झूठा मामला दर्ज करने का आरोप लगाया था। इस सुसाइड नोट को लेकर उसके ससुराल पक्ष के लोग हाईकोर्ट पहुंच गए।
हाईकोर्ट में विरेंद्र व पूजा द्वारा अंतरजातीय विवाह करने पर उच्च न्यायालय के आदेश पर ही उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। पुलिस द्वारा सुरक्षा हटाने के दो दिन बाद ही विरेंद्र पर एनडीपीएस एक्ट का मामला दर्ज करने और उसके चार दिन बाद पूजा द्वारा आत्महत्या करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने दो अप्रैल को पुलिस से जवाब तलब किया है। इसी की तैयारी को लेकर महकमा दिन रात एक किए हुए है। जांच कार्य में खुद आईजी भी जुटे हैं।
मौत के पीछे उठे सवाल
11 नंवबर को विरेंद्र व पूजा ने हाईकोर्ट में शादी की थी। 9 दिसंबर को हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई। आखिर किन कारणों से 23 मार्च को नांगल चौधरी पुलिस ने सुरक्षा हटाने के लिए विरेंद्र से कागजों पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला। इतना ही नहीं उसके मना करने के बावजूद पुलिस सुरक्षा हटाई।
25 मार्च को खेत में काम करते विरेंद्र को उठाकर पुलिस सीआईए नारनौल पहुंची और उस पर मादक पदार्थो की तस्करी का केस लगा दिया। विरेंद्र द्वारा ये सब आरोप पुलिस पर लगाए गए हैं। जिनका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है।
एसपी का तर्क अजीब
पुलिस कार्रवाई को सही ठहरा रहे एसपी जगवंत लांबा विरेंद्र पर छह माह पूर्व दर्ज किए हुए मामले का हवाला देते हुए उसे मादक पदार्र्थो का तस्कर बता रहे हैं। उनके मुताबिक 18 सितंबर को नारनौल शहर में विरेंद्र पर इस संबंध में मामला भी दर्ज किया गया था, जबकि विरेंद्र के नजदीकी लोगों का कहना है कि शादी से पूर्व उसमें जरूर कुछ अवगुण थे, परंतु वह विवाह के बाद पूरी तरह से बदल गया और मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार चला रहा था।
नारनौल पहुंचे आईजी एसएन वशिष्ठ ने बातचीत में कहा कि वे इस केस की असलियत जानने आए हैं। सारे तथ्यों की गहनता व गंभीरता से जांच करेंगे। वशिष्ठ का कहना था कि पिछले दिनों पुलिस प्रोटेक्शन रिव्यू करने के आर्डर हुए थे। उस संदर्भ में भी विरेंद्र-पूजा को दी गई सुरक्षा के तथ्यों को देखा जाएगा। जो भी असलियत होगी उसे सामाने लाया जाएगा।