कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

विदर्भ में नवंबर में 63 किसानों ने की आत्महत्या

विदर्भ और यवतमाल जिले में किसानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। नवंबर में इन दोनों जिलों में 63 किसानों ने आत्महत्या की है। 28 नवंबर को सात किसानों ने आत्महत्या की। विदर्भ में अब तक 895 किसानों ने आत्महत्या की है। वर्ष में अब तक 902 किसानों ने आत्महत्या की। 2005 से अब तक इस इलाके में 7266 किसानों ने आत्महत्या की। आत्महत्या करने वाले सभी किसानों के नाम नईदुनिया को प्राप्त हुए हैं।

विदर्भ जनआंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने नईदुनिया को बताया कि विदर्भ में लगभग दो मिलियन हेक्टेअर सोयाबीन और 3.२ मिलियन हेक्टेअर बीटी कॉटन की फसल पर अकाल की मार पड़ी है। फसल नष्ट होने की वजह से किसानों ने जो कर्ज दिया था उसे वह चुका नहीं पा रहे थे। इसी कारण किसानों ने आत्महत्या की। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को विदर्भ के अकालग्रस्त किसानों या आत्महत्या किए किसानों के परिजनों से मिलने का वक्त नहीं है।

किशोर तिवारी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र भेज कर आत्महत्या करने वाले किसानों की सूची भेज दी हैं। साथ ही पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से अकालग्रस्त इलाकों के किसानों और उनके परिजनों को आरोग्य सुविधा. खाना, नौकरी और पीने का पानी जल्द से जल्द मुहैया कराने की गुजारिश की है। (नई दुनिया)

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