कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

कार्बन उत्सर्जन पर जी-20 देशों की स्थिति



चीन :
* वर्ष 2020 तक 2005 के आधार पर प्रति इकाई जीडीपी कार्बन उत्सर्जन में 40 से 45 फीसदी कटौती का लक्ष्य।
* वर्ष 2020 तक धनी देशों से 1990 के मुकाबले उत्सर्जन में 40 फीसदी कटौती की माँग।
* हर साल वे जीडीपी का एक फीसदी अन्य देशों को दें।
* पश्चिमी देश लो-कार्बन तकनीक दें।

अमेरिका :
* वर्ष 2020 तक 2005 के मुकाबले उत्सर्जन में 17 प्रतिशत कटौती करेगा, लेकिन प्रस्ताव के संसद की मंजूरी का इंतजार। यह 1990 के स्तर से चार फीसदी कम होगा।
* चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से उत्सर्जन कम करने पर जोर।
* जलवायु परिवर्तन पर विधेयक सीनेट में लंबित।

रूस :
* अनाधिकारिक तौर पर उत्सर्जन में 20 से 25 फीसदी कटौती का संकल्प।
* 1990 में आर्थिक संकट के कारण 2005 के आधार पर उत्सर्जन एक तिहाई बढ़ने पर भी लक्ष्य हासिल करने में सक्षम।

भारत :
* ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने पर सहमत, लेकिन बाध्यकारी प्रावधान नहीं मानेगा।
* जलवायु परिवर्तन के लिए धनी देश जिम्मेदार। इशारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन में बड़े अंतर की ओर।
* क्योटो की तरह की संधि का पक्षधर जिसमें बाध्यकारी प्रावधान हों।

जापान :
* वर्ष 2020 तक उत्सर्जन में 25 फीसदी कटौती करेगा बशर्ते अन्य देश भी ऐसा ही सोचें।
* इसका मतलब दस सालों में 30 फीसदी कटौती जिसका उद्योग जगत विरोध करते हैं।
* 'हातोयामा प्रावधान' से विकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता।
* हर देश की अपनी प्रतिबद्धता का समर्थन करेगा।

जर्मनी :
* वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 40 फीसदी कम करने का वादा।
* आठ सूत्रीय योजना यूरोपीय संघ के 20 फीसदी कटौती के लक्ष्य से कहीं अधिक।
* योजना में आठ प्रस्ताव हैं। बिजली संयंत्रों को उन्नत बनाने से लेकर अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रस्ताव।

कनाडा :
* दस साल तक टालमटोल करने के बाद वर्ष 2020 तक 2006 की तुलना में 20 फीसदी कटौती की योजना।
* इस लक्ष्य की व्यापक आलोचना। इसमें अपर्याप्त माना जा रहा है।

ब्रिटेन :
* वर्ष 2008 में जलवायु परिवर्तन कानून पास हुआ जिसमें 2050 तक 1990 के स्तर से उत्सर्जन में 80 फीसदी कटौती का लक्ष्य। 2020 तक के लिए 34 फीसदी कटौती का लक्ष्य।
* कुछ लोगों का तर्क कि ये लक्ष्य अवास्तविक है और वर्ष सदी के आखिर से पहले पूरा करना संभव नहीं है।
* द इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स के मुताबिक अगर ब्रिटेन ऊर्जा की माँग में 50 फीसदी कटौती कर भी लेता है तो भी लक्ष्य पूरा करने के लिए अगले बीस वर्षों में उसे 16 अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा संयंत्र और 27 हजार पनव ऊर्जा टर्बाइन लगाने होंगे।

दक्षिण कोरिया :
* 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों में चार प्रतिशत कटौती का संकल्प। कोपेनहेगेन बैठक विफल होने के बावजूद अमल करेगा।
* लेकिन औद्योगिक जगत की चेतावनी कि सरकार ज्यादा ही तेज गति से बढ़ रही है।
* ग्रीन टेक्नोलॉजी पर हर साल जीडीपी का दो फीसदी खर्ज करने का संकल्प।

इटली :
* उत्सर्जन कटौती के मामले में यूरोपीय संघ में सबसे खराब रिकॉर्ड।
* वर्ष 2001 से 2006 के बीच जीडीपी की तुलना में उत्सर्जन में काफी वृद्धि।
* यूरोपीय आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2007 में उत्सर्जन 55 करोड़ टन के पार जो 1990 से सात प्रतिशत ज्यादा।ऑस्ट्रेलिया :
* एक विधेयक संसद में विचाराधीन जिसके मुताबिक वर्ष 2020 तक वर्ष 2000 के स्तर से 15 फीसदी कटौती का लक्ष्य।

मैक्सिको :
* अपनी तरफ से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 2050 तक 50 फीसदी की कटौती का लक्ष्य।
* वैश्विक ग्रीन फंड का समर्थक जिसमें गरीब देशों को छोड़ सब पैसा जमा करेंगे और इसका उपयोग ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए होगा।

दक्षिण अफ्रीका :
* विकासशील देशों से इतर उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य अपनी इच्छा से तय करने और अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता का इरादा।
* 2050 तक 30 फीसदी उत्सर्जन कटौती के पक्ष में।
* कोपेनहेगेन बैठक में उसे बाध्यकारी प्रावधान लागू होने की उम्मीद, लेकिन धनी देशों से उम्मीदें अधिक।

सऊदी अरब :
* उत्सर्जन कटौती का विरोध करने वाले देश की छवि।
* ओपेक के अन्य देशों के साथ जैव ईंधन से उत्सर्जन कम करने के बदले वित्तीय मदद की माँग कर रहा है।
* कार्बन संचय योजना का पक्षधर।
* 2007 में ओपेक देशों ने जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए 75 करोड़ डॉलर देने का संकल्प लिया।

फ्रांस :
* नए कार्बन टैक्स की योजना जो अगले साल से लागू होगा।
* ये विभिन्न चरणों में लागू होगा और घरों और उद्योगों को इसके दायरे में लाया जाएगा, लेकिन भारी उद्योग और ऊर्जा कंपनियाँ इसमें शामिल नहीं।
* जनता पक्ष में नहीं। ये डर कि उनका कर बोझ और बढ़ेगा।

ब्राजील :
* चीन और भारत के साथ सुर मिलाते हुए ये माँग करता रहा है कि पहले विकसित देश पहल करें।
* हालाँकि राष्ट्रपति लुला सिल्वा ने घोषणा की है कि उनका देश 2020 में संभावित उत्सर्जन में 36 फीसदी की कटौती करेगा। ये लक्ष्य जंगलों की कटाई रोक कर पूरा किया जाएगा।
* जंगलों की कटाई और क्षरण पर वार्ता में मुख्य देश के तौर पर माँग करता रहा है कि इसकी भरपाई के लिए विकसित देश पैसा दें।

इंडोनेशिया :
* 2005 के स्तर से कार्बन उत्सर्जन में 26 फीसदी कटौती का लक्ष्य।
*जंगलों की कटाई रोक कर और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देकर लक्ष्य पूरा करने का भरोसा।
* नेशनल क्लाइमेट चेंज काउंसिल के मुताबिक उत्सर्जन में 40 फीसदी कटौती के लिए 32 अरब डॉलर की जरूरत जिसका अधिकतर हिस्सा विकसित देशों से आएगा।

तुर्की :
* फरवरी, 2009 तक क्योटो प्रोटोकॉल पर दस्तखत नहीं किया।
* देर से शामिल होने के कारण क्योटो संधि से मिलने वाली वित्तीय सहायता से वंचित।

अर्जेंटीना :
* जी-77 समूह में शामिल। भारी कटौती और ग्रीन टेक्नोलॉजी देने में आनाकानी करने के लिए विकसित देशों की आलोचना करता रहा है।
* ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के लिए कोई घरेलू योजना नहीं।

यूरोपीय संघ :
* कोपेनहेगेन में अग्रणी भूमिका निभाने की इच्छा।
* 1990 के स्तर से वर्ष 2020 तक बीस फीसदी उत्सर्जन कम करेगा। अगर अन्य बड़े देश भी मानें तो लक्ष्य 30 प्रतिशत हो सकता है।
* 2050 तक धनी देश 80 से 95 फीसदी कटौती करें।
* गरीब देशों से भी उत्सर्जन में कटौती चाहता है।
* विकासशील देशों को इस मद में सात से 22 अरब डॉलर देने के लिए तैयार।






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