झटके से टूट जाते हैं स्वप्न
छुट जाते है अपने
त्याग देता हूँ मैं अपने शुभचिंतकों को
ईच्छाओं को कुचल कर
असंतोष को हवा दे रहा हूँ
उद्देलित आवेग की तीव्रता
के लिए इंधन बना देता हूँ
स्वयं को
अपने विद्रोह के वास्ते
ताकि विद्रोह जीवित रहे
धधकता रहे मेरे सीने में
मेरा मांस मेरी हड्डियाँ गलती जायें
उस आवेग में उस अग्नि में
मई आहुति दे रहा हूँ
विद्रोह के पवन यज्ञ में
मैं संबंधों और भावनाओ को झोक रहा हूँ
मानवीय व्यव्हार और वात्सल्य के
कोमल पुष्प कुचल रहा हूँ
अपने भारीभरकम पाँव से
नव-सृजन की बात करते हुए
विध्वंस का पुजारी बना फिर रहा हूँ
उस अन्तिम शिखर की खोज में
जहाँ मेरी निश्चित हार होगी
और प्रेम जीत जाएगा
और मेरे विद्रोह का समर्पण होगा
........................................................................
मुझे मालूम है के तेरे नाम से वबास्ता हैं
ये चाँद, ये चाँदनी,ये फूल,ये खुशबू
ये इश्क ये नरमी ये अदा ये जलवा
ये नशा ये सदा ये सज़ा ये जजा
मुझे मालूम है के मेरे नाम हैं
ये शोले ये रोज़ेमह्शर, वो क़त्ल ये दर्द
ये नफरत ये सख्ती ये जनु ये आवारगी
ये ख्वाब वो दौड़ना ये भागना
चलते जाना
कभी कलम उठाना कभी दवात गिराना
ये तो सबको मालुम है की हमारा कोई मेल नही
मगर हमेशा ही तुम्हारे दीदार को तरसी है
ये आखें मेरी निगाहें मेरी रूह
मेरी बगावत के तेवर तेरी आखों में डूब जाना चाहें
मेरी आवारगी मेरे ख्वाब तेरे जले में उलझ जाना चाहें
मैं फ़ेंक दूँ कलम किताब
मैं उतार दूँ आलिमी लबादा
तुझ में खो दूँ पहचान अपनी
अगर तू एक बार आजाये
छुट जाते है अपने
त्याग देता हूँ मैं अपने शुभचिंतकों को
ईच्छाओं को कुचल कर
असंतोष को हवा दे रहा हूँ
उद्देलित आवेग की तीव्रता
के लिए इंधन बना देता हूँ
स्वयं को
अपने विद्रोह के वास्ते
ताकि विद्रोह जीवित रहे
धधकता रहे मेरे सीने में
मेरा मांस मेरी हड्डियाँ गलती जायें
उस आवेग में उस अग्नि में
मई आहुति दे रहा हूँ
विद्रोह के पवन यज्ञ में
मैं संबंधों और भावनाओ को झोक रहा हूँ
मानवीय व्यव्हार और वात्सल्य के
कोमल पुष्प कुचल रहा हूँ
अपने भारीभरकम पाँव से
नव-सृजन की बात करते हुए
विध्वंस का पुजारी बना फिर रहा हूँ
उस अन्तिम शिखर की खोज में
जहाँ मेरी निश्चित हार होगी
और प्रेम जीत जाएगा
और मेरे विद्रोह का समर्पण होगा
........................................................................
मुझे मालूम है के तेरे नाम से वबास्ता हैं
ये चाँद, ये चाँदनी,ये फूल,ये खुशबू
ये इश्क ये नरमी ये अदा ये जलवा
ये नशा ये सदा ये सज़ा ये जजा
मुझे मालूम है के मेरे नाम हैं
ये शोले ये रोज़ेमह्शर, वो क़त्ल ये दर्द
ये नफरत ये सख्ती ये जनु ये आवारगी
ये ख्वाब वो दौड़ना ये भागना
चलते जाना
कभी कलम उठाना कभी दवात गिराना
ये तो सबको मालुम है की हमारा कोई मेल नही
मगर हमेशा ही तुम्हारे दीदार को तरसी है
ये आखें मेरी निगाहें मेरी रूह
मेरी बगावत के तेवर तेरी आखों में डूब जाना चाहें
मेरी आवारगी मेरे ख्वाब तेरे जले में उलझ जाना चाहें
मैं फ़ेंक दूँ कलम किताब
मैं उतार दूँ आलिमी लबादा
तुझ में खो दूँ पहचान अपनी
अगर तू एक बार आजाये
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