कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

आडवाणी के खिलाफ पप्पी किन्नर

पीएम इन वेटिंग और गांधीनगर संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी को मशहूर नृत्यांगना मल्लिका साराभाई के अलावा एक किन्नर प्रत्याशी का भी मुकाबला करना होगा।

साबरमती जेल से हाल ही में जमानत पर छूटी किन्नर नेता सोनिया ने यह ऐलान किया। गत लोकसभा चुनाव में आडवाणी को चुनौती देने वाली सोनिया ने इस बार अपनी शागिर्द पप्पी को गांधीनगर से उतारने का फैसला किया है।

सोनिया ने बताया कि अहमदाबाद पूर्व व पश्चिम और राजकोट सीट से भी किन्नर प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएंगे।

पूर्वाचल में सत्ता से दूर आधी दुनिया


-बस्ती मंडल में मतदाता संख्या के मामले में आधी दुनिया का भले ही दबदबा है, लेकिन इस इलाके से सिर्फ एक बार महिला संसद पहुंच पायी है।

यह सौभाग्य सपा के टिकट पर बांसगांव संसदीय क्षेत्र से सुभावती पासवान को मिला। सैद्धांतिक रूप से सभी दल आधी दुनिया को संसद में 33 फीसदी भागीदारी देने के पक्षधर हैं। कड़वी सचाई यही हैं कि इस इलाके में कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाये तो कई संसदीय चुनावों में अधिकांश दलों ने महिला उम्मीदवार नहीं उतारा।

राजनीतिक दलों की बात की जाए तो दोनों मंडलों में चार बार काग्रेस, तीन बार सपा, दो बार बसपा व एक बार जनता पार्टी ने महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। 1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव में दोनों मंडलों से गोरखपुर मध्य से कद्दावर नेत्री सुचेता कृपलानी और देवरिया पूरब से कमला सहाय चुनाव लड़ी थीं। क्रमश: तीसरे व चौथे नंबर पर रही ये नेत्रिया अपनी जमानत तकनहीं बचा सकीं।

दूसरे चुनाव में एक भी महिला उम्मीदवार नहीं थी। तीसरे चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी से कमला सहाय ने गोरखपुर से चुनाव लड़ीं और चौथे स्थान पर रहीं। सन् 67, 72 व 77 में भी कोई महिला उम्मीदवार नहीं थी। 80 में पड़रौना से मालती पांडेय जनता पार्टी के टिकट पर उम्मीदवार थीं। शानदार राजनीतिक विरासत के बाद भी वे हार गईं। 84 में भी मात्र एक ही महिला उम्मीदवार मैदान में थी, जिसकी जमानत जप्त हो गई। 89 में कांग्रेस के टिकट पर देवरिया से शशि शर्मा चुनाव लड़ीं। खलीलाबाद, पड़रौना और महाराजगंज से एक एक निर्दल महिला प्रत्याशी भी मैदान में थी। मात्र शशि शर्मा ही अपनी जमानत बचा सकी और दूसरे स्थान पर रहीं। वर्ष 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने डुमरियागंज से मोहसिना किदवई, देवरिया से शशि शर्मा व पड़रौना से मोहिनी देवी पर दांव लगाया।

इसके अलावा सोशलिस्ट पार्टी से डुमरियागंज से सीमा मुस्तफा और खलीलाबाद से एक निर्दल महिला प्रत्याशी भी मैदान में थी। इनमें से कांग्रेस की तीनों प्रत्याशी क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहीं

वर्ष 1996 के चुनाव में सर्वाधिक नौ महिलाएं उम्मीदवार थीं। कांग्रेस से विभाजित तिवारी कांग्रेस की ओर से डुमरियागंज से मोहसिना किदवई, इसी पार्टी से देवरिया से शशी शर्मा और सपा से बांसगांव से सुभावती पासवान मैदान में उतरीं। बाकी सभी छह निर्दलीय थीं। बांसगांव से सुभावती पासवान जीत कर इतिहास बनाया, बाकी की जमानत जब्त हो गई।

वर्ष 1999 में यह संख्या महज चार थी। बांसगांव से सपा से सुभावती पासवान और महाराजगंज से बसपा के टिकट पर तलत अजीज चुनाव लड़ीं। इसके अलावा गोरखपुर सदर और खलीलाबाद से भी दो निर्दलीय महिला प्रत्याशी मैदान में थीं, किंतु सभी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। 2004 के चुनाव में उक्त दलों ने उन्हीं महिलाओं पर भरोसा किया, लेकिन वे हार गईं।

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