कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

दो पलकों पे ख़्वाब जितने हैं

इसी सबब से हैं शायद, अज़ाब जितने हैंझटक के फेंक दो पलकों पे ख़्वाब जितने हैं
वतन से इश्क़, ग़रीबी से बैर, अम्न से प्यारसभी ने ओढ़ रखे हैं नक़ाब जितने हैं
समझ सके तो समझ ज़िन्दगी की उलझन कोसवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं

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