कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

सारा हिसाब मांगे है

रुखों के चांद, लबों के गुलाब मांगे हैबदन की प्यास, बदन की शराब मांगे है
मैं कितने लम्हे न जाने कहाँ गँवा आयातेरी निगाह तो सारा हिसाब मांगे है
मैं किस से पूछने जाऊं कि आज हर कोईमेरे सवाल का मुझसे जवाब मांगे है
दिल-ए-तबाह का यह हौसला भी क्या कम हैहर एक दर्द से जीने की ताब मांगे है
बजा कि वज़ा-ए-हया भी है एक चीज़ मगरनिशात-ए-दिल तुझे बे-हिजाब मांगे है

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