कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

हमें जीने का हौसला तो रहा

तमाम उम्र अज़ाबों का सिलसिला तो रहा ये कम नहीं हमें जीने का हौसला तो रहा
गुज़र ही आये किसी तरह तेरे दीवाने क़दम क़ादम पे कोई सख़्त मरहला तो रहा
चलो न इश्क़ ही जीता न अक़्ल हार सकी तमाम वक़्त मज़े का मुक़ाबला तो रहा
मैं तेरी ज़ात में गुम हो सका न तू मुझ में बहुत क़रीब थे हम फिर भी फ़ासला तो रहा
ये और बात कि हर छेड़ लाउबाली थी तेरी नज़र का दिलों से मुआमला तो रहा
बहुत हसीं सही वज़ए-एहतियात तेरी मेरी हवस को तेरे प्यार से गिला तो रहा

कोई टिप्पणी नहीं: