मैं चाहता हूँ कि तुम यह एक बात जान लो
तुम जानती हो कि यह सब कैसे हुआ
यदि मैं अपनी खिड़की से धीरे-धीरे उतरते वसंत में
लाल टहनी पर टंगे चमचमाते चाँद की ओर देखता हूँ
अगर मैं आतिशदान में पड़ी राख को छेड़ता हूँ
या कि झुर्रियों में तब्दील हो चुके लट्ठे को
हर चीज मुझे तुम्हारी ओर खींचकर ले जाती है
गोया कि हर जो चीज अस्तित्व में है,
खुशबू, धूप, धातुएँ
सब छोटी-छोटी कश्तियाँ हैं
जो तैरती हुई तुम्हारे उस द्वीप की ओर जाती हैं
जो मेरा इंतजार कर रहा है।
चलो अब
अगर तुम थोड़ा-थोड़ा करके मुझे प्रेम करना बंद कर रही हो
तो मुझे भी तुम्हे थोड़ा-थोड़ा करके प्यार करना बंद कर देना चाहिए।
यदि तुम एकाएक मुझे भूल जाओ तो मुझे मत ढूँढना
क्योंकि मैंने तुम्हें थोड़ा-थोड़ा करके
प्यार करना बंद कर दिया है।
यदि तुम इस पर गहराई से सोचती हो और पागल हो उठती हो
मेरी जिंदगी के मकामों से जो हवा गुजरती है
और तुम निर्णय लेती हो
मुझे दिल के उस तट पर छोड़ देने का,
जहाँ मेरी जड़ें जमी हुई हैं।
याद रखना
कि उस दिन
उस वक्त में
मैं अपनी बाहें उठाउँगा और जड़ें उखड़ आएँगी
कोई और जमीन तलाशने के लिए।
वे कौन लोग हैं जो पृथ्वी को नारंगी की शक्ल में देखते हैं और इसे निचोड़कर पी जाना चाहते हैं यह तपी हुई अभिव्यक्ति है उस ताकत के खिलाफ---जो सूरज को हमारे जीवन में---उतरने से रोकती है---जो तिनके सा जला देती है---और कहती है---यह रही तुम्हारे हिस्से की रोशनी।'
कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी
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मन्दिरा इंसान दो तरह के होते हैं! अच्छे लोग और बुरे लोग........मगर इतना भर कह देने से सब कुछ ठीक नहीं होजाता! दुनिया रंगीन है यह...
पाब्लो नेरुदा की कविता
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