कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

कसाब के बहाने


अजमल कसाब को आज सजा सुनाई जायेगी फांसी या उम्रकैद! देश की अधिसंख्यक जनता उसे फांसी देना चाहती है मगर कुछ लोग फांसी दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं उनमे मैं भी हूँ! ऐसा नहीं की मैं कसाब के अपराधों का समर्थन करता हूँ या उससे कोई रियायत बरतने की बात करता हूँ बल्कि इसलिए की मै किसी भी प्रकार की हत्या को सही नहीं मानता एक ज़िम्मेदार देश होने के नाते हमें न्यायिक हत्या जैसी चीजों से बचना चाहिए! मगर मैं कसाब पर करोडो खर्च करने का भी हिमायती नहीं हूँ हमारे देश की कार्यपालिका हो सकता है की बहुत निकम्मी और भ्रस्त हो मगर इतनी भी नहीं की आप उनसे कोई आशा ही छोड़ दें! कसाब की गिरफ्फ्तरी से हमने पाकिस्तान को दुनिया सामने बेनकाब किया है और उसकी गतिविधियों से अवगत कराया है! हमने पाकिस्तान की करतूतों का चिटठा खोलना शुरू किया तो अमेरिका को सामने आना पड़ा और सारे मामले की लीपापोती कर दी गयी! हमारी भी कुछ वैश्विक मजबूरियां हैं जिनके कारण चुप होजाना एक सही उपाय था! मगर सोचिये ये सारा कमाल किसका था सच कहें तो एक अदना से एस आई का जिसने कसाब को गिरफ्फ्तर किया! मुझे लगता है की मौत के नंगे नाच के बीच मैं भी भावनाओं में बह जाता और शायद कसाब को वहीँ गोली मार देता मगर एक कर्ताव्प्रायण अधिकारी ने ना केवल अपनी भावना पर काबू रख कर उसे गिरफ्फ्तर किया बल्कि वहां जुटी भीड़ से मनोवैज्ञानिक तौर पर लड़ा भी ! आज उस अध्हिकार को सलाम करना ही होगा जिसने कानून और देश की व्यवस्था के प्रति लोगों में यहाँ तक की देश के बहार भीतर उन तमाम लोगों को जिन्हें हमारी व्यवस्था पर विश्वाश नहीं होता ये सन्देश दिया की हम धीर नहीं खोते! 
अब सवाल की कसाब को जिंदा रख कर क्या करना बिलकुल आखिर एक विदेशी नागरिक जो मौत का नंगा नाच नाच रहा था वो भी एक ऐसे शहर में जो भारत की आर्थिक राजधानी है उसको माफ़ करना क्या हमारी संवेदना पर चोट नहीं क्या हमारी अस्मिता से खिलवाड़ नहीं 
मै कहूँगा नहीं "कसाब एक छोटी मछली है और इसका इस्तेमाल चारे के तौर पर करना चाहिए जैसे उन्होंने किया" 
मगर मैं तमाम मानवाधिकार की रक्षा करने की बात करने के बावजूद इसके आकाओं को मौत के घाट उतरने की वकालत करता हूँ जिन्होंने चंद रूपये और जन्नत जैसी काल्पनिक चीजों के लिए हजारो बच्चों के दिमाग में ज़हर भरा है उन्हें बारूद बनाया है! 
हमें अब्दुर रहमान लखवी जैसे तमाम लोगों को ठीक उसी तरह मारने का प्लान बनाना चाहिए जैसा उन्होंने मुंबई में हमें मारने का बनाया! 
हम उन्हें माफ़ नहीं कर सकते पाकिस्तान हमें पख्तूनों का समर्थक बताता है! तो हमें पख्तूनों का समर्थन करना चाहिए! हमें बलोचों का समर्थक बताता है तो हमें बलोचों का समर्थन करना चाहिए और राँ को कहना चाहिए की वो लखवी जैसे तमाम आतंकियों की फरिहिस्त बनायें और एक एक को ठिकाने लगायें! 
मुंबई का हमला एक ऐसा हमला है जिसने हमारी कल्पनाओं से भी ज्यादा दर्दनाक है हमारी आकस्मिता को रौंदने का प्रयास है! 
और कहूँगा की देश की भीतर जिन्हें सरकार या व्यवस्था से शिकायत है वो सरकार से लड़ें उनसे अपनी बात कहें पारिवारिक झगड़ों को पड़ोसियों की मदद से हल करने की कोशिश करने वालों को माफ़ नहीं किया जा सकता! आप चोर डाकू जो बनना चाहें बने मगर आपकी हरकत बहरी आकाओं से संचालित नहीं होनी चाहिए अगर हुयी तो आप पर पहला निशाना लगाया जाएगा क्योकि अपने एक जिद्दी बच्चे के लिए पुरे परिवार का बंटवारा नहीं कर सकते अपने पुरे परिवार को मौत के मुंह में नहीं जाने दिया जा सकता! मुंबई हमला एक हद थी जो पार हो चुकी! 
हम सब बर्दाश्त कर सकते हैं मगर निर्दोषों का खून बर्दाश्त नहीं किया जासकता! इसलिए ज़रूरी है की ऐसे तत्वों को समूल उखड फेका जाए जिनका पूरा जीवन मौत बांटने के लिए है!
भारत ना तो हिन्दुओं के बाप का है ना ही मुसलामानों के बाप का 
ये हमारा देश है जहाँ हम एक दुसरे का खून भी बहते हैं तो मरहम भी रखते हैं! हम आपस में खूब नफरत करते हैं मगर हम जैसा प्यार करने वाला भी इस दुनिया में नहीं! हम अपने नेताओं को गालियाँ भी देते हैं तो प्यार भी उन्ही से करते हैं! हम जिंदा लोग हैं पूरी शिद्दत से जीते हैं, हमें मज़हब लड़ता भी है तो सर भी झुक्वाता है! 
Photo : - http://greatlaker.files.wordpress.com 
इसलिए अब ज़रूरत है की बाहरी ताकतों को रोकने और उनकी गन्दी नज़र में गर्म सलाखें पेवस्त कर देने के लिए हमें साथ आना होगा, फिर रही आपस में फरियाने की बात तो फरिया लेंगे! मोदी ठाकरे धर्मनिरपेक्ष नेता सब को गालियाँ दे लेंगे! 

2 टिप्‍पणियां:

anjule shyam ने कहा…

मैं असहमत हूँ इस बात से की कसब को फंसी ना दी जाए ..उसे हर हाल में फासी दी जानी चाहिए वों भी जल्द से जल्द नहीं तो लोगों का भरोषा कानून से उठ जायेगा...

Saleem Khan ने कहा…

hi this is saleem 9838659380