
सोचता हूँ
जिन लम्हों को
हमने एक दूसरे के नाम किया है
शायद वही जिंदगी थी।
भले ही वो ख्यालों में हो
या फिर अनजान ख्वाबों में
या यूँ ही कभी बातें करते हुए
या फिर अपने अपने अक्स को
एक दूजे में देखते हुए हो
पर कुछ पल जो तूने मेरे नाम किए थे
उनके लिए मैं तेरा शुक्रगुजार हूँ ।।
उन्हीं लम्हों को
मैं अपने वीरान सीने में रख
मैं
तुझसे,
अलविदा कहता हूँ।।।
अलविदा ।।
...................................................
आज का यह दिन
तुम्हें दे दिया मैंने
आज दिनभर तुम्हारे ही ख्यालों का लगा मेला
मन किसी मासूम-बच्चे सा फिरा भटका अकेला
आज भी तुम पर
भरोसा किया मैंने।
आज मेरी पोथियों में शब्द बनकर तुम्हीं दिखे
चेतना में उग रहे हैं अर्थ कितने मधुर-तीखे
आज अपनी ज़िंदगी को
जिया मैंने।
आज सारे दिन बिना मौसम घनी बदली रही है
सहन-आँगन में उमस की, प्यास की धारा बही है
सुबह उठकर नाम जो
ले लिया मैंने
....................................................................
सिर्फ दो प्रश्न हैं मेरे जीवन में
एक तुम, दूसरा तुमसे जुड़ा हुआ
...................................................
भीगी चाँदनी में
ओस की
हर बूँद
तुम्हारी याद लगती है
जिसे छुआ नहीं जा सकता
.......................................................
रात्रि में,
प्रश्नाकुल मन,
बहुत उदास,
कहता है मुझसे,
उठो, चाँद से बातें करो
और मैं,
बहने लगता हूँ
श्वेत चाँदनी में, तब,
तुम बहुत याद आते हो।
...................................................................
जाने क्या होता इन
प्यार भरी बातों में
रिश्ते बन जाते हैं
चंद मुलाकातों में
मौसम कोई हो
हम अनायास गाते हैं
बंजारे होंठ मधुर
बाँसुरी बजाते हैं
मेहँदी के रंग
उभर आते हैं हाथों में।
खुली-खुली आँखों में
स्वप्न सगुन होते हैं
हम मन के क्षितिजों पर
इंद्रधनुष बोते हैं
चंद्रमा उगाते हम
अँधियारी रातों में।
सुधियों में हम तेरे
भूख-प्यास भूले हैं
पतझर में भी
जाने क्यों पलाश फूले हैं
शहनाई गूँज रही
मंडपों कनातों में।
...........................................
जिन लम्हों को
हमने एक दूसरे के नाम किया है
शायद वही जिंदगी थी।
भले ही वो ख्यालों में हो
या फिर अनजान ख्वाबों में
या यूँ ही कभी बातें करते हुए
या फिर अपने अपने अक्स को
एक दूजे में देखते हुए हो
पर कुछ पल जो तूने मेरे नाम किए थे
उनके लिए मैं तेरा शुक्रगुजार हूँ ।।
उन्हीं लम्हों को
मैं अपने वीरान सीने में रख
मैं
तुझसे,
अलविदा कहता हूँ।।।
अलविदा ।।
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आज का यह दिन
तुम्हें दे दिया मैंने
आज दिनभर तुम्हारे ही ख्यालों का लगा मेला
मन किसी मासूम-बच्चे सा फिरा भटका अकेला
आज भी तुम पर
भरोसा किया मैंने।
आज मेरी पोथियों में शब्द बनकर तुम्हीं दिखे
चेतना में उग रहे हैं अर्थ कितने मधुर-तीखे
आज अपनी ज़िंदगी को
जिया मैंने।
आज सारे दिन बिना मौसम घनी बदली रही है
सहन-आँगन में उमस की, प्यास की धारा बही है
सुबह उठकर नाम जो
ले लिया मैंने
....................................................................
सिर्फ दो प्रश्न हैं मेरे जीवन में
एक तुम, दूसरा तुमसे जुड़ा हुआ
...................................................
भीगी चाँदनी में
ओस की
हर बूँद
तुम्हारी याद लगती है
जिसे छुआ नहीं जा सकता
.......................................................
रात्रि में,
प्रश्नाकुल मन,
बहुत उदास,
कहता है मुझसे,
उठो, चाँद से बातें करो
और मैं,
बहने लगता हूँ
श्वेत चाँदनी में, तब,
तुम बहुत याद आते हो।
...................................................................
जाने क्या होता इन
प्यार भरी बातों में
रिश्ते बन जाते हैं
चंद मुलाकातों में
मौसम कोई हो
हम अनायास गाते हैं
बंजारे होंठ मधुर
बाँसुरी बजाते हैं
मेहँदी के रंग
उभर आते हैं हाथों में।
खुली-खुली आँखों में
स्वप्न सगुन होते हैं
हम मन के क्षितिजों पर
इंद्रधनुष बोते हैं
चंद्रमा उगाते हम
अँधियारी रातों में।
सुधियों में हम तेरे
भूख-प्यास भूले हैं
पतझर में भी
जाने क्यों पलाश फूले हैं
शहनाई गूँज रही
मंडपों कनातों में।
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