
परमार्थ में जीवन को ही मिटा दे,
दीप सा दधीचि दूसरा हुआ कहाँ?
वह तो जल पूरा गया फिर भी,
हर मन में उजाला हुआ कहाँ?
एक दीप प्रेम का जलाएं,
जो हर मन का कलुष मिटाए,
सूनी आँखों में फिर से ,
एक जीवन ज्योति जलाये,
आओ ऐसी एक नयी दीपावली मनाएं.
आप सब को सपरिवार दीपावली शत-शत मंगलमय शुभकामनाएं!
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