गीतांजली डे के बारे में बताऊँ तो ये की वो दिल्ली के लक्ष्मी बाई कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं, उनसे मेरी मुलाकात पिछले साल के शुरुआत में हुयी थी, जब वो मेरे भाई के बुलावे पर अपना दर्शन दिया था, वो एक सुंदर और कुशाग्र बुद्धि है, ऐसा उनके मित्र भी मानते हैं,
खैर उन्होंने मेरा एक फोटो देख कर मुझे लिखा है "People keep telling that social activists are not good looking....they should look at this pic of yours...Its a nice one...ab ya to aap waqai achche lag rahe hai ya phir photographer ki karastaani hai...jo bhi hai...Nice photograph.... " अब मुझे पता नही उन्होंने मेरी तारीफ की या ये कुछ और था, मगर उन्होंने जो भी कहा उस से सहमत होने में मुझे कोई एतराज़ नही है, उनकी बातें बिल्कुल सच हैं बस मै ये ज़रूर कहूँगा की भाई फोटोग्राफर की कारस्तानी सिर्फ़ इतनी होती है की वो चीजों को सही तरीके से उतर सके अब मै जैसा हूँ फोटोग्राफर ने वैसा उतर दिया "मै स्मार्ट हूँ भाई"
मगर क्या सोशल एक्टिविस्ट क्या सचमुच गुड लूकिंग नही होते, गीतांजली ने सही कहा लोग मानते हैं एक्टिविस्ट कवि लेखक और राजनेता गुड लूकिंग नही होते, दरअसल लूकिंग और सुन्दरता के अपने अपने मायने होते हैं साफ़ और अच्छे कपड़े चश्मे की चमक और जुटे पर पोलिश लोगों को नही बहती उन्हें लगता है की समाज में रहने और जिंदा रहने वाला वो इंसान जो एक्टिविस्ट कहा जाता है उसे समाज की बुराइयों से लड़ना चाहिए वो किसी देवात्मा सा होना चाहिए जो नश्वर शरीर की परवाह न रखे, मुझसे भी सदैव ही ऐसी अपेक्षा की गई, कुरता और जींस में मैंने अपने चैतन्य युव अवस्था का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारा है वो तो भला हो डॉक्टर साधना अगरवाल का जिनकी जिद ने मुझे अपना हुलिया बदलने पर मजबूर किया और मती भाई (मतिउर रहमान खान मेरे बेहतरीन दोस्त और बड़े भाई जो अब अपना ज़्यादा वक्त मेरे साथ गुज़रना पसंद नही करते ! शायद?) का जिन्होंने मेरे लिए हमेशा कुछ बेहतर आधुनिक ( शब्द आधुनिक मुझे अजीब लगता है) कपड़े ख़रीदे, वरना मै भी सचमुच चम्पू टाइप एक्टिविस्ट ही था, वैसे गीतांजली ने मेरे फोटो की तारीफ की सो धन्यवाद देना ज़रूरी है!
खैर उन्होंने मेरा एक फोटो देख कर मुझे लिखा है "People keep telling that social activists are not good looking....they should look at this pic of yours...Its a nice one...ab ya to aap waqai achche lag rahe hai ya phir photographer ki karastaani hai...jo bhi hai...Nice photograph.... " अब मुझे पता नही उन्होंने मेरी तारीफ की या ये कुछ और था, मगर उन्होंने जो भी कहा उस से सहमत होने में मुझे कोई एतराज़ नही है, उनकी बातें बिल्कुल सच हैं बस मै ये ज़रूर कहूँगा की भाई फोटोग्राफर की कारस्तानी सिर्फ़ इतनी होती है की वो चीजों को सही तरीके से उतर सके अब मै जैसा हूँ फोटोग्राफर ने वैसा उतर दिया "मै स्मार्ट हूँ भाई"
मगर क्या सोशल एक्टिविस्ट क्या सचमुच गुड लूकिंग नही होते, गीतांजली ने सही कहा लोग मानते हैं एक्टिविस्ट कवि लेखक और राजनेता गुड लूकिंग नही होते, दरअसल लूकिंग और सुन्दरता के अपने अपने मायने होते हैं साफ़ और अच्छे कपड़े चश्मे की चमक और जुटे पर पोलिश लोगों को नही बहती उन्हें लगता है की समाज में रहने और जिंदा रहने वाला वो इंसान जो एक्टिविस्ट कहा जाता है उसे समाज की बुराइयों से लड़ना चाहिए वो किसी देवात्मा सा होना चाहिए जो नश्वर शरीर की परवाह न रखे, मुझसे भी सदैव ही ऐसी अपेक्षा की गई, कुरता और जींस में मैंने अपने चैतन्य युव अवस्था का एक बड़ा हिस्सा गुज़ारा है वो तो भला हो डॉक्टर साधना अगरवाल का जिनकी जिद ने मुझे अपना हुलिया बदलने पर मजबूर किया और मती भाई (मतिउर रहमान खान मेरे बेहतरीन दोस्त और बड़े भाई जो अब अपना ज़्यादा वक्त मेरे साथ गुज़रना पसंद नही करते ! शायद?) का जिन्होंने मेरे लिए हमेशा कुछ बेहतर आधुनिक ( शब्द आधुनिक मुझे अजीब लगता है) कपड़े ख़रीदे, वरना मै भी सचमुच चम्पू टाइप एक्टिविस्ट ही था, वैसे गीतांजली ने मेरे फोटो की तारीफ की सो धन्यवाद देना ज़रूरी है!
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