पेरिस, दिसंबर १७९५
जब मैं उठा तो तुम्हारे ही ख्यालों से भरा हुआ था। तुम्हारी तस्वीर और कल की बिताई हुई मदहोश कर देने वाली शाम मेरे मन-मस्तिष्क को बेचैन कर देती है। प्यारी, अतुलनीय जोसफिन, तुमने न जाने कैसा जादू मेरे मन पर किया है! क्या तुम गुस्सा हो? क्या तुम मुझे गुस्से में दिख रही हो? क्या तुम चिंतित हो? मेरी आत्मा दु:ख से भरी हुई है, लेकिन मुझे चैन नहीं मिला। इसके साथ ही कई और अहसास थे, जो हावी थे। मैंने तुम्हारे होंठों से और तुम्हारे दिल से प्यार को रेखांकित करने की कोशिश की, जिसमें मैं जलता रहा। ओह ! कल रात मुझे इस बात का अहसास हुआ कि तुम्हारी तस्वीर तुम्हारी कितनी गलत तस्वीर प्रस्तुत करती है।तुम दोपहर में चली जाओगी, मैं तुम्हें तीन घंटे बाद देख सकूँगा। मेरी प्यारी तब तक के लिए हजारों चुंबन, लेकिन मुझे उसके बदले में कुछ मत देना, नहीं तो वो मेरे खून में आग लगा देगा।
तुम्हारा नेपोलियन
(नेपोलियन बोनापार्ट न केवल एक कुशाग्र शासक था, बल्कि एक कुशल पत्र लेखक भी था। उसने अपनी पूरी जिंदगी में 75,000 पत्र लिखे थे, जिनमें ज्यादतर पत्र अपनी खूबसूरत पत्नी जोसफिन के नाम लिखे थे। ये पत्र शादी के कुछ दिनों के बाद लिखे गए थे, जिसमें भावी शासक की भावनाएँ परिलक्षित होती हैं।)
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