शिमला के इस ठंडे मौसम की बर्फीली हवाएं
बहुथा उद्देलित कर जाती हैं
तुम्हारी याद आती है
तुम्हें भूल भी जाता हूँ
परन्तु जाने कियों
इन ठोस हवाओं का एक एक
अहसास विकराल प्रश्न बन जाता है
याद आने से भूल जाने और
भूल जाने से याद आने तक के इस अंतराल में
सदैव ही मंथन करता हूँ
मई कहाँ था मैं कब था
और अन्तिम प्रश्न की मै क्यों था
अब जब की मै नही हूँ तो इन प्रश्नों
की प्रासंगिकता मिथ्या है
तो क्या जग मिथ्या है, सम्बन्ध मिथ्या होते हैं
और क्या वो समय मिथ्या था
हो या होते भी हों तो मुझे क्या
मै तो याद भी करूँगा और भूल भी जाऊंगा
ताकि भरम बरक़रार रहे
अनंत काल तक .....
बहुथा उद्देलित कर जाती हैं
तुम्हारी याद आती है
तुम्हें भूल भी जाता हूँ
परन्तु जाने कियों
इन ठोस हवाओं का एक एक
अहसास विकराल प्रश्न बन जाता है
याद आने से भूल जाने और
भूल जाने से याद आने तक के इस अंतराल में
सदैव ही मंथन करता हूँ
मई कहाँ था मैं कब था
और अन्तिम प्रश्न की मै क्यों था
अब जब की मै नही हूँ तो इन प्रश्नों
की प्रासंगिकता मिथ्या है
तो क्या जग मिथ्या है, सम्बन्ध मिथ्या होते हैं
और क्या वो समय मिथ्या था
हो या होते भी हों तो मुझे क्या
मै तो याद भी करूँगा और भूल भी जाऊंगा
ताकि भरम बरक़रार रहे
अनंत काल तक .....
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