कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

वैलेंटाइन डेस्पेशल


वैलेंटाइन डे आरहा है सो फैज़ अहमद फैज़ की याद आ गई आप भी सुनो


नसीब आजमाने के दिन आ रहे हैं


करीब उनके आने के दिन आ रहे हैं
जो दिल से कहा है, जो दिल से सुना है
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं
अभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दो


की लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं


टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती


निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं


सबा फिर हमें पूछती फिर रही हैं


चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं


चलो फैज़ फिर से कहीं दिल लगाएं
सूना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं

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