कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

जाखो यात्रा

शिमला रिज से कोई दो किलोमीटर ऊपर है जाखो मन्दिर! कहते हैं की महाभारत काल में जब हनुमान जी लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी लेने निकले तो यहाँ रुक कर विश्राम किया था! इसकारण यहाँ आने वाले प्रयातको की अच्छी ख्हासी संख्या यहाँ आती है शिमला रिज से करीब ४ किलोमीटर ऊपर की चढाई भक्तो की परीक्षा और रोमांच का कारन होती है ! हमारा प्लान अकस्मात बना था यानि हम निकले थे अपने काम से मगर रस्ते में उद्देश्य बदल गया और हम जाखो मन्दिर की तरफ़ निकल पड़े खैर ऊपर जाते हुए बड़ा मज़ा आया शाएद इसकी वजह की हम पॉँच में से सब के सब पहली बार जा रहे थे! रस्ते में मस्ती चल रही थी मैंने खेल खेल में एक छड़ी का दाम पूछा ३० की थी सो मैंने ले ली
मुझे क्या पता था ये कितने काम की चीज़ थी! एक छोटी सी दुकान नज़र आई मुझे सिगरेट की तलब थी और चार सिगरेटें जल उठी बड़ा शर्म सी लगी हम तो किसी बगैर सैलेंसर वाले ट्रक की तरह धुआ छोढ़ रहे खैर जैसे तैसे हम बाबा बालकनाथ जाखो मन्दिर तक पहुच गए प्रसाद बेचने वालों ने घेरने की कोशिश की मगर हम उन्हें टालते हुए आगे निकल रहे थे वीरेंदर को एक बूढी माता ने कहा प्रसाद खरीद ले वरना तेरा चश्मा बन्दर ले जायेंगे बात आई गई हो गई मन्दिर के अन्दर जाने के लिए लोग जुटे उतरने लगे मुझे अन्दर जाना और दर्शन करना तो था नही सो मै इधर उधर नज़रें दौड़ा रहा था नेकराम ने जूता खोला और बदबू हमने उसे कहा पाव धोले भी हम बात ही कर रहे थे की वीरेंदर चौंक गया एक बन्दर ने उसपर छलांग लगायी और जब तक हम कुछ समझते वो विरेन का चश्मा ले कर छू मंतर हो गया अब बड़ी समस्या थी वहां पर प्रसाद बेचने वालों ने कहा प्रसाद दो वो चश्मा दे देगा इसने पैसा दिया और एक हाथ से प्रसाद फेका और दुसरे से चश्मा उठा लिया अब आगे जाने का मुड बाकि नही था सो वापस हो लिए ! रास्ता बेहद रोमांचक है सो जब शिमला आए तो जाखो जाना न भूले यहाँ से आज भी बर्फ से ढके पहाड़ दिख जाते हैं मगर वो किन्नोर के पहाड़ हैं










कोई टिप्पणी नहीं: