

मुझे क्या पता था ये कितने काम की चीज़ थी! एक छोटी सी दुकान नज़र आई मुझे सिगरेट की तलब थी और चार सिगरेटें जल उठी बड़ा शर्म सी लगी हम तो किसी बगैर सैलेंसर वाले ट्रक की तरह धुआ छोढ़ रहे खैर जैसे तैसे हम बाबा बालकनाथ जाखो मन्दिर तक पहुच गए प्रसाद बेचने वालों ने घेरने की कोशिश की मगर हम उन्हें टालते हुए आगे निकल रहे थे वीरेंदर को एक बूढी माता ने कहा प्रसाद खरीद ले वरना तेरा चश्मा बन्दर ले जायेंगे बात आई गई हो गई मन्दिर के अन्दर जाने के लिए लोग जुटे उतरने लगे मुझे अन्दर जाना और दर्शन करना तो था नही सो मै इधर उधर नज़रें दौड़ा रहा था नेकराम ने जूता खोला और बदबू हमने उसे कहा पाव धोले अभी हम बात ही कर रहे थे की वीरेंदर चौंक गया एक बन्दर ने उसपर छलांग लगायी और जब तक हम कुछ समझते वो विरेन का चश्मा ले कर छू मंतर हो गया अब बड़ी समस्या थी वहां पर प्रसाद बेचने वालों ने कहा प्रसाद दो वो चश्मा दे देगा इसने पैसा दिया और एक हाथ से प्रसाद फेका और दुसरे से चश्मा उठा लिया अब आगे जाने का मुड बाकि नही था सो वापस हो लिए ! रास्ता बेहद रोमांचक है सो जब शिमला आए तो जाखो जाना न भूले यहाँ से आज भी बर्फ से ढके पहाड़ दिख जाते हैं मगर वो किन्नोर के पहाड़ हैं 

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें