कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

कोई ये कहदे गुलशन गुलशन

कोई ये कहदे गुलशन गुलशन
लाख बलाएँ एक नशेमन
कामिल रेहबर क़ातिल रेहज़न दिल सा दोस्त न दिल सा दुशमन
फूल खिले हैं गुलशन गुलशनलेकिन अपना अपना दामन
उमरें बीतीं सदियाँ गुज़रींहै वही अब तक अक़्ल का बचपन
इश्क़ है प्यारे खेल नहीं है इश्क़ है कारे शीशा-ओ-आहन
खै़र मिज़ाज-ए- हुस्न की यारबतेज़ बहुत है दिल की धड़कन
आज न जाने राज़ ये क्या हैहिज्र की रात और इतनी रोशन
आ कि न जाने तुझ बिन कल सेरूह है लाशा, जिस्म है मदफ़न
काँटों का भी हक़ है कुछ आखि़र कौन छुड़ाए अपना दामन

जिगर मुरादाबादी

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