(१)
अश्क आंखों में कब नहीं आता
लहू आता है जब नहीं आता
होश जाता नहीं रहा लेकिन
जब वो आता है तब नहीं आता
दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता
इश्क का हौसला है शर्त वरना
बात का किस को धब नहीं आता
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम
हर सुखन ता-ब-लब नहीं आता
(2)
अपने तड़पने की मैं तदबीर पहले कर लूँतब फ़िक्र मैं करूँगा ज़ख़्मों को भी रफू का
यह ऐश के नहीं हैं या रंग और कुछ हैहर गुल है इस चमन में साग़र भरा लहू का
बुलबुल ग़ज़ल सराई, आगे हमारे मत करसब हमसे सीखते हैं, अंदाज़ गुफ़्तगू का
(3)
जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगातो जीना हमें अपना दुशवार होगा
ग़म-ए-हिज्र रखेगा बेताब दिल कोहमें कुढ़ते-कुढ़ते कुछ आज़ार होगा
जो अफ़्रात-ए-उल्फ़त है ऐसा तो आशिक़कोई दिन में बरसों का बिमार होगा
उचटती मुलाक़ात कब तक रहेगीकभू तो तह-ए-दिल से भी यार होगा
तुझे देख कर लग गया दिल न जानाके इस संगदिल से हमें प्यार होगा
(4)
यारो मुझे मु'आफ़ करो मैं नशे में हूँअब दो तो जाम खाली ही दो मैं नशे में हूँ
माज़ूर हूँ जो पाओं मेरे बेतरह पड़ेतुम सर-गराँ तो मुझ से न हो मैं नशे में हूँ
या हाथों हाथ लो मुझे जैसे के जाम-ए-मयया थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ
(5)
कुछ करो फ़िक्र मुझ दीवाने कीधूम है फिर बहार आने कीवो जो फिरता है मुझ से दूर ही दूर है ये तरकीब जी के जाने कीतेज़ यूँ ही न थी शब-ए-आतिश-ए-शौक़थी खबर गर्म उस के आने की जो है सो पाइमाल-ए-ग़म है मीर चाल बेडोल है ज़माने की
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