कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

बस, अब नहीं लिखना

बस, अब नहीं लिखना  
किसी के लिए
नहीं देखना वो कच्चे सपने 
जिनके पकने की कोई उम्मीद नहीं, 
नहीं रोपना दिल की क्यारी में 
उस स्नेह बेल को 
जिसे मुरझाना जाना है 
सारे प्रयासों से सींचने के बाद भी। 
नहीं सजाने सूनी रात के आँचल में 
रूपहले सितारे 
जिन्हें झड जाना है बिना झिलमिलाए। 
नहीं खड़े होना है 
मन की उस भावुक चौखट पर 
जो तुम्हारे आने से चमक उठती थी। 

नहीं खिलने दूँगा उस रातरानी को 
जो तुम्हारी साँसों की गंध 
छोड़कर जाती है मुझमें। 
और हाँ, नहीं याद करना अब मुझे 
तुमको, तुम्हारी आँखों को और तपते होंठों को 
जो हिम सी ठंडक देते थे मेरे चेहरे को। 
तुम मुस्कराओं निर्दयी, 
कि मैं अब मुस्कुराता नहीं। 
तुम मुस्कराओं खुलकर 
कि मैं तुम्हारे मुस्कुराने की वजह नहीं।

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