कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

बत्तख ने बचायी थी बापू की जान

30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप  में मनाते हैं. आज ही के दिन नाथुराम गोड्से ने गांधी की हत्या कर दी थी. लेकिन गांधी की हत्या उनके शुरुआती दिनों में ही हो जाती, यदि बत्तख मियां न होते. आज शहीद दिवस पर पढ़ते हैं गुमनाम नायक बत्तख मियां अंसारी की दास्तां

गांधी के गांधी बनने में किसी एक प्रक्रिया, स्थान अथवा आंदोलन को रेखांकित कर दायरे में नहीं बांधा जा सकता. दक्षिण अफ्रीका में यह कहा जाता है कि इसी देश ने गांधी को गांधी बनाया. पोरबंदरवाले स्वाभाविक तौर पर कहते हैं कि यहां गांधी पैदा हुए, इसलिए इस शहर की भूमिका सबसे अहम है. और चंपारण ने गांधी को गांधी बनाया, यह तो हर कोई स्वीकारता है. लेकिन 1917 में गांधी जब चंपारण दौरे पर पहुंचे थे, तभी उन्हें खत्म करने का पूरा इंतजाम हो चुका था. वह तो शुक्र है बत्तख मियां का, जिन्होंने गांधी को बचा लिया था. नहीं तो गांधी देश की आजादी की लड़ाई का क्या, चंपारण दौरे का भी नेतृत्व नहीं कर पाते. बत्तख मियां ने ही गांधी को विष मिला सूप देकर भी उन्हें आगाह कर दिया था कि इसमें जहर मिला हुआ है.यह बात 1917 की ही है. इसके गवाह खुद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे. बत्तख को इसकी सजा उन्हें अपने जिंदगी में तो भुगतनी ही पड़ी.इतने वर्षो बाद उनकी तीसरी पीढ़ी भी गांधी के जान बचाने की सजा भुगत रही है. (prabhat  khabar)

कोई टिप्पणी नहीं: