वे कौन लोग हैं जो पृथ्वी को नारंगी की शक्ल में देखते हैं और इसे निचोड़कर पी जाना चाहते हैं यह तपी हुई अभिव्यक्ति है उस ताकत के खिलाफ---जो सूरज को हमारे जीवन में---उतरने से रोकती है---जो तिनके सा जला देती है---और कहती है---यह रही तुम्हारे हिस्से की रोशनी।'
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15-10 साल बाद अंतरिक्ष से आयेगी मुसीबत | |||||||||||||||||||||||||||||||
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वैज्ञानिकों ने चेताया है कि मानव सुविधा के लिए भेजे गये उपग्रह एक दिन स्वयं मानव के लिए खतरा बनेंगे। पृथ्वी के बाहरी वातावरण में कार्यशील उपग्रहों तथा मृत हो चुके उपग्रहों के टुकड़ों की भीड़ जमा हो रही है और इससे मानव पर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में आयोजित हए स्पेस डेब्रिज कांग्रेस के पहले अधिवेशन में इस बाबत चिंता व्यक्त की गयी. इस अधिवेशन में दुनिया भर से वैज्ञानिक, सैटेलाइट कंपनी ऑपरेटर तथा अंतरिक्ष विशेषज्ञ आये हए थे. इस समय पृथ्वी के आसपास 110 किलोमीटर से लेकर 36000 किलोमीटर के बीच करीब 19000 बड़े टुकड़े तैर रहे हैं. ये टुकड़े छोटे कील से लेकर बस के आकार जितने बड़े हैं. यही नहीं, एक सेंटीमीटर से लेकर 10 सेंटीमीटर तक बड़े 30000 टुकड़े भी इनमें जोड़ दें, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि पृथ्वी के आसपास कितना कचरा जमा हो चुका है. ये टुकड़े आठ से 10 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से उड़ते हैं. यदि इनमें से कुछ टुकड़े छिटक कर पृथ्वी के वातावरण में सकुशल प्रवेश कर जाये, तो धरती पर प्रलय ला सकते हैं. इंसान अब दूर वातावरण में भी उपग्रह भेज रहा है. इस सम्मेलन में आये वैज्ञानिक राम जाखु के अनुसार असली खतरा उन्ही से होगा. लेकिन इसके लिए आपको अभी 15-20 साल तक का इंतजार तो करना ही पड़ेगा. |
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