कुछ बातें जो संभ्रात इतिहास में दर्ज नहीं की जा सकेंगी

दांपत्य जीवन में खुशियां लाने का अमृत

क्या कोई खास पानी पीने मात्र से दांपत्य जीवन सौहाद्र्रपूर्ण हो सकता है. मध्यप्रदेश मे शिवपुरी के निकट स्थित भदैया कुंड के पानी के बारे में कुछ ऐसी ही मान्यता है. मान्यता यह है कि भदैया कुंड जल प्रपात में बने गोमुख से निकलनेवाला पानी पीने से दांपत्य जीवन में खुशियां बढ़ती हैं और आपसी विवाद छूमंतर हो जाते हैं. यहां आनेवाले पर्यटकों में नव दंपत्ति से लेकर दशकों से वैवाहिक जीवन बिता रहे वृद्ध-वृद्धाएं भी शामिल हैं. जहां नवदंपति सुखी दांपत्य जीवन की शुरुआत करने की तमन्ना से यहां आते हैं, वहीं बुजुर्ग दंपत्ति लंबे समय के वैवाहिक जीवन में कभी-कभी होनेवाली छोटी-मोटी खटपट को भी जड़ से उखाड़ फ़ेंकने की इच्छा से भदैया का सहारा लेते हैं. बिना किसी भय के यहां आनेवाले सैलानियों में नवदंपत्ति ज्यादा होते हैं और वे जलप्रपात से जो पानी एक कुंड में गिरता है, उसमें तैरते और नहाते भी हैं. कुंड के पास ही बने एक गौमुख से गिरनेवाले पानी को पीकर अपना दांपत्य जीवन सफ़ल बनाते हैं.ग्वालियर राज्य के समय में यह स्थान राजाओं एवं शाही मेहमानों का भी पसंदीदा स्थल रहा है. उस समय भी यहां नौका विहार करने की व्यवस्था थी तथा सुरक्षा के लिए चौकियां भी बनायी गयीं थीं.







15-10 साल बाद अंतरिक्ष से आयेगी मुसीबत

वैज्ञानिकों ने चेताया है कि मानव सुविधा के लिए भेजे गये उपग्रह एक दिन स्वयं मानव के लिए खतरा बनेंगे। पृथ्वी के बाहरी वातावरण में कार्यशील उपग्रहों तथा मृत हो चुके उपग्रहों के टुकड़ों की भीड़ जमा हो रही है और इससे मानव पर खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में आयोजित हए स्पेस डेब्रिज कांग्रेस के पहले अधिवेशन में इस बाबत चिंता व्यक्त की गयी. इस अधिवेशन में दुनिया भर से वैज्ञानिक, सैटेलाइट कंपनी ऑपरेटर तथा अंतरिक्ष विशेषज्ञ आये हए थे. इस समय पृथ्वी के आसपास 110 किलोमीटर से लेकर 36000 किलोमीटर के बीच करीब 19000 बड़े टुकड़े तैर रहे हैं. ये टुकड़े छोटे कील से लेकर बस के आकार जितने बड़े हैं. यही नहीं, एक सेंटीमीटर से लेकर 10 सेंटीमीटर तक बड़े 30000 टुकड़े भी इनमें जोड़ दें, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि पृथ्वी के आसपास कितना कचरा जमा हो चुका है. ये टुकड़े आठ से 10 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से उड़ते हैं. यदि इनमें से कुछ टुकड़े छिटक कर पृथ्वी के वातावरण में सकुशल प्रवेश कर जाये, तो धरती पर प्रलय ला सकते हैं. इंसान अब दूर वातावरण में भी उपग्रह भेज रहा है. इस सम्मेलन में आये वैज्ञानिक राम जाखु के अनुसार असली खतरा उन्ही से होगा. लेकिन इसके लिए आपको अभी 15-20 साल तक का इंतजार तो करना ही पड़ेगा.

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