मुद्दत हो गईउन तन्हाइयों को गुज़रे,
आज भी इन आँखों में,
वो खामोशियाँ क्यों है?
चुन-चुन कर जिसकी यादों
कोअपने जीवन से निकाला मैंने,
मेरे दिल पर आज भीउनकी हुकुमत क्यों है?
तोड़ दिया जिसने यकीनमुहब्बत से मेरा
वो शख़्स आज भीप्यार के काबिल क्यों है?
रास ना आई जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरेदिन और रात में शामिल क्यों है?
खत्म हो गया जो रिश्ता
वो आज भी सांस ले रहा हैमेरे वर्तमान में
वो आज भी मेरा अतीत क्यों है...???
गर्विता बी.एस.
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