वक्त ने किया क्या हंसी सितम तुम रहे न तुम, हम रहे न हम । बेक़रार दिल इस तरह मिले जिस तरह कभी हम जुदा न थे तुम भी खो गए, हम भी खो गए इक राह पर चल के दो कदम ।जायेंगे कहाँ सूझता नहीं चल पड़े मगर रास्ता नहीं क्या तलाश है, कुछ पता नहीं बुन रहे क्यूँ ख़्वाब दम-ब-दम ।
--कैफ़ी आज़मी
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