दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना है
मिल जाये तो मिट्टी हैं खो जाये तो सोना है
अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई
आलमहर वक़्त का ये रोना तो बेकार का रोना हैं
(तन्हा : lonely; आलम : grief, pain, misfortune)
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जानेकिस राह से बचना हैं किस छत को भिगौना हैं
ग़म हो कि ख़ुशी दोनो कुछ देर के साथी हैंफिर रास्ता ही रास्ता हैं हंसना है ना रोना हैं
(ग़म : grief, suffering)
निदा फ़ाज़ली
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